Saturday, December 25, 2010

विज्ञान, वैज्ञानिक द्रष्टिकोण और भारत

भारत में पड़े लिखे अंधविश्वासियों कि कमी नहीं है. ये डाक्टर हो सकते हें, इंजिनियर हो सकते हें, यहाँ तक कि वे वैज्ञानिक भी हो सकते हैं. ध्यान रहे कि इनकी पोस्ट (पद) वैज्ञानिक का होगा पर ये खुद तो सिर्फ ऐसे भारतीय हैं, जिसका वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से कोई लेंना देना नहीं है. यदि होता तो नए वैज्ञानिक आविष्कारों में हमारा भी बहुत बड़ा योगदान होता. जिन मुट्ठी भर भारतियों का वास्तव में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण है , जो वास्तव में विज्ञान कि दुनिया में कुछ बड़ा काम कर सकते हैं, वो विचारे तो अभावों से ग्रसित हैं और कई विचारे तो रोजी रोटी कि मार से अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का गला घोंटकर कोल्हू के बैल कि तरह रोजमर्रा कि जिन्दगी में पिस रहे हैं. चुकि अभावों के कारण ये अभी तक अपनी कोई खास पहचान नहीं बना सके हैं इसलिए इस घटिया, अन्धविश्वासी, रूड़ीवादी और परम्पराओं  से ग्रसित समाज  में खुलकर  अपनी वैज्ञानिक मानसिकता  के साथ, जी भी नहीं सकते, इन्हें भी वही जिन्दगी जीना होती है जो इनके आस पास परम्परावादी अवैज्ञानिक समाज जी रहा होता है.  

                           धन्य है मेरा  भारत महान जहाँ वैज्ञानिक द्रष्टिकोण वाले बुद्धिमानों को संघर्ष कि जिन्दगी जीना पड़ रही है, और कुबुद्धि वा चालाक बुद्धि  लोग कभी राजनैतिक नेता बनकर तो कभी धार्मिक नेता बनकर मजे कर रहे हैं और देश को और रसातल में ले जा रहे हैं.

                   इस महान देश कि एक मुर्खतापूर्ण  सोच ये भी है कि सिर्फ बहुत पड़े लिखे, डिग्री धारी लोग ही वैज्ञानिक सोच वाले हो सकते हैं वही नई खोजे/ आविष्कार कर सकते है. हमें ये समझना चाहिए कि  पुराने ज़माने के सारे के सारे बड़े वैज्ञानिक/ आविष्कारक बड़ी - बड़ी डिग्री धारक नहीं थे.  कम पड़े लिखे लोग भी तकनीकी दिमाग वाले हो सकते हैं. सिर्फ बड़े-बड़े शहरों में ही नहीं, छोटे- छोटे शहरों, कस्बों और गावँ में भी तकनीकी सोच वाले लोग पैदा होते हैं, मगर आर्थिक अभावों और सुविधावों के न मिलने से, किसी कि सहायता और प्रोत्साहन न मिलने से, संघर्ष करते- करते आखिरकार अपनी वैज्ञानिक/तकनीकी प्रतिभा का गला घोंटकर रोजमर्रा कि रोजी रोटी कि चिंता में वही घटिया जिन्दगी जीने लगते हैं.

                      यदि इस महान देश में एक भी कोई ऐसी संस्था या व्यक्ति हो जो ऐसे लोगो के लिए कुछ आर्थिक या किसी और तरह कि मदद कर सकते हों तो कृप्या मुझे जरुर बताएं, क्योंकि मैं ऐसे व्यक्तियों  को जानता हूँ जिनकी  महान वैज्ञानिक और तकनीकी प्रतिभा आर्थिक अभावों के कारण सिसक सिसक कर दम तोड़ रही है.

संजीव शर्मा, इंदौर 
मोब: 09826069633

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